आयोग के बारे में

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मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 जो संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है के अनुसार राष्‍ट्रीय स्‍तर पर राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्‍य स्‍तर पर राज्‍य मानव अधिकार आयोग को स्‍थापित करने की व्‍यवस्‍था है।
राजस्‍थान राज्‍य मानव अधिकार आयोग देश के अग्रणी राज्‍य आयोगों में से एक है। इस आयोग ने अल्‍पावधि में ही मानव अधिकारों के संरक्षण एवं उन्‍नयन को बढावा देने के लिये अपने उद्देश्‍य में कई मील के पत्‍थर हासिल किये है।
राजस्‍थान की राज्‍य सरकार ने दिनांक 18 जनवरी 1999 को एक अधिसूचना राजस्‍थान राज्‍य मानव अधिकार आयेाग के गठन के संबंध में जारी की, जिसमें मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के प्रावधानुसार एक पूर्णकालिक अध्‍यक्ष एवं चार सदस्‍य रखे गये। अध्‍यक्ष एवं चार सदस्‍यों की नियुक्ति कर आयोग का गठन किया गया और मार्च, 2000 से यह आयोग क्रियाशील हो गया था।मानव अधिकार संरक्षण (संशोधित) अधिनियम, 2006 के अनुसार राज्‍य मानव अधिकार आयोग में एक अध्‍यक्ष और दो सदस्‍य का प्रावधान किया गया है।
वर्तमान में आयोग के माननीय अध्‍यक्ष और माननीय सदस्‍यों का विवरण इस प्रकार है :-
1. न्यायमूर्ति श्री गंगा राम मूलचंदानी, माननीय अध्यक्ष
2.न्यायमूर्ति श्री राम चंद्र सिंह झाला, माननीय सदस्य
3.न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार गुप्ता, माननीय सदस्य
राजस्‍थान राज्‍य मानव अधिकार आयोग का मुख्‍य उद्देश्‍य राज्‍य में मानव अधिकारों की रक्षा हेतु एक निगरानी संस्‍था के रूप में कार्य करना है। 1993 के अधिनियम के अन्‍तर्गत धारा 2(घ) में मानव अधिकारों को परिभाषित किया गया है और इन न्‍यायोचित अधिकारों को भारतीय कानून के तहत अदालती आदेश द्वारा लागू कराया जा सकता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र के चार्टर 10 दिसम्‍बर 1948 में मानव अधिकारों को परिभाषित कर सम्मिलित किया गया है और जिन्‍हे सख्‍ती से लागू किया जाना है।
राज्‍य मानव अधिकार आयोग, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अन्‍तर्गत एक स्‍वशाषी उच्‍चाधिकार प्राप्‍त मानव अधिकारों की निगरानी संस्‍था है। इसके स्‍वायतता हेतु आयोग के अध्‍यक्ष एवं नियुक्ति की प्रक्रिया इस प्रकार रखी गई है, जिससे उनके कार्य करने की स्‍वतंत्रता सु‍रक्षित रहे, साथ ही उनका कार्यकाल पूर्व में ही निश्चित कर दिया गया है और अधिनियम की धारा 23 के अन्‍तर्गत वैधानिक गारन्‍टी प्रदान की गई है और अधिनियम की धारा 33 के अन्‍तर्गत वित्‍तीय स्‍वायतता भी प्रदान की गई है। आयोग का उच्‍च स्‍तर आयोग के अध्‍यक्ष, सदस्‍य एवं अधिकारीगण के स्‍तर से परिलक्षित होता है। आयोग सचिव राज्‍य सरकार के सचिव स्‍तर के अधिकारी से कम स्‍तर का अधिकारी नहीं हो सकता। आयोग की अपनी एक अन्‍वेषण एजेन्‍सी है, जिसका नेतृत्‍व ऐसे पुलिस अधिकारी जो महानिरीक्षक पुलिस के पद से कम स्‍तर का नहीं हो, द्वारा किया जाता है।